‘राष्ट्रीय गीत'
“ स्वादेश हित में सदा काम करूॅ॑गी
विश्व में ऊॅ॑चा सदा नाम करूॅ॑गी
झुकने न दूॅ॑गी कभी तिरंगे को अपने
नमन सदा मातॄभूमि को करूॅ॑गी
स्वादेश के तिरंगे का सदा सम्मान करूॅ॑गी।
आजादी की फिजाओं को सदा याद रखूॅ॑गी
लाल,बाल, पन्त की तिकड़ी और
अग्रेंजी हुकूमत से मिली आजादी सदा याद रखूॅ॑गी
वीरता,साहस, शौंर्यं को सदा नमन करूॅ॑गी
स्वादेश के तिरंगे का सदा सम्मान करूॅ॑गी ।
विवश अधरों पर सुलगता विद्रोह गीत सदा याद रखूॅ॑गी
गुलामी का कफन,स्वाधीनता का लहू सदा याद रखूॅ॑गी
कोश जख्मों का इतिहास के वक्ष पर
चीख़ते प्रतिशोंध का आक्रोंश सदा याद रखूॅ॑गी
स्वादेश के तिरंगे का सदा सम्मान करूॅ॑गी।
शहीदों की सरजमीं हैं हिंदोस्ता हमारा सदा याद रखूॅ॑गी
धरा पर रक्त की सजावट हैं शहीदों की सदा याद रखूॅ॑गी
आजादी के गूंजों में सैकड़ों शहीदों की शहादत हैं
यही देश की गौरव गाथा हैं सदा याद रखूॅ॑गी
स्वादेश के तिरंगे का सदा सम्मान करूॅ॑गी।
जय हिन्द जय भारत, वन्दे मातरम्।।"
रेशमा त्रिपाठी
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश।

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