‘चूड़ियाॅ॑'
“हरे रंग की बिदिया चमके
हरे रंग की चूनर
अरे!
हरे रंग की चूड़ी खनके
आया हरियाली का मौसम
बारिश की बूंदों की जैसी
हर हाथों में अब चूंडी खनके
प्रकृति के हरियाली के जैसे
हर बाला जी चूड़ियाॅ॑ चमके
आया हरियाली का मौसम।
हर हाथों की चूड़ी से
संगीत सुनो अब हर कोई
हर घर का श्रृंगार बना सावन
अरे!
चूड़ियों की झनकार सुनों
आया हरियाली का मौसम।"
रेशमा त्रिपाठी
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश।

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