कवित्त
उत्तराखण्ड देव भूमि ऋषियों की भूमि जो,
सर्व कलुष मिटत गंगोत्री नहाये से।
जनम भूमि यही है कृष्ण प्रिया कालिन्दी की
पग - पग घटै पाप दर्शन के पाये से।।
केदारनाथ अनाथों के नाथ हैं ठहरे जो
दुनिया को पाप नसै तेरे गुन गाये से।
सारे जग को करत हैं सनाथ बद्रीनाथ
होत जन पूर्ण काम तेरे द्वारे जाये से।।
स्वरचित । ।कविरंग ।।
पर्रोई - सिद्धार्थ नगर (उ0प्र0)
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