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सवनवाँ

सवनवाँ

मोरा बीतल जाय सवनवाँ हो।
अइलैं   नाहिं   सजनवाँ   हो।।

जब से तूं विदेशवा  गइला
मोबाइल फोन बंद  कइला।
कवनों रंगरेजियन के पीछे
जइसे    तूं   परि    गइला
भरमत  बाय  परनवाँ   हो।। मोरा - - - -

पहिले - पहल जब मीलल रहला
सर के कसम   तूं   हमरे   खइला।
हम   तै   भइलीं सोनवां से  चाँदी
तूं कलमुही के पीछे   परि गइला
झर-झर   चुवै     नयनवाँ     हो।। मोरा - - - - -

घर  त्यागि   के   तुहार    भइलीं
धन - धरम    दुनहूं    से   गइलीं।
अब  तोहरे   नाहीं   पिरितिया हो
व्यर्थ     संग      तुहार     कइलीं
निकसत    नाहीं       परनवाँ  हो।। मोरा - - - - -

दिन-   राति     चलैं     पुरुवाई
चहुंओर     कारी   बदरी   छाई।
झिमिर- झीमिर    मेघ    बरीसैं
मौसम   मोहे   बड़ै     दुखदायी
टुप  - टुप   चुवै     भवनवाँ  हो।। मोरा - - - - -

 कविरंग 
            पर्रोई - सिद्धार्थ नगर( उ0प्र0)

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