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प्रेम रस बरसे

*प्रेम रस बरसे*


गीत गजल कविताएं,
में लिखता हूँ ।
गीत मिलन के,में गाता हूँ।।

गीत मिलन के में,
गा के सुनता हूँ।
प्रेम रस बरसात हूँ,
अपने गीतों से।
जग जाती है मोहब्बत,
लोगो के दिलो में।
मंत्रमुक्त हो जाते है,
गीत मेरे सुनके।
दिल में बसा लेते है,
लोग मुझे अक्सर।।
गीत गजल कविताएं,
में लिखता हूँ ।

लोगो की दीवानी का,
माहौल कुछ ऐसा है।
लवयू लवयू चिल्लाकर,
माहौल बनाते है।
फिर धीरे से मेहबूबा को,
किश कर लेते है।
और लोग इसके लिए,
हमें करें बदनाम।
क्योंकि प्यार मोहब्बत के,
गीत मैं जो गाता हूँ ।।
गीत गजल कविताएं,
में लिखता हूँ ।

कितनो को मेहबूबा,
मिल जाती।
कितनो की दुनिया,बस जाती।
कितनो के दिल,मचलने लगते।
सुनकर प्यार मोहब्बत के गीत।।
अब तुम ही बतलाओ लोगो,
इसमें मेरा क्या है दोष।।
गीत गजल कविताएं,
में लिखता हूँ ।
गीत मिलन के,
में गाता हूँ।।

जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुंबई)
२९/०९/२०१९

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