*कैसे करे इकरार*
दिया तुम को मैंने,
अपना तन मन धन।
पर दे न सके हम,
तुम्हें दिल अपना।
करे तो क्या करे हम
अब तुम ही बतलाओ।
तुम्हारा दिल हमारा दिल,
अब दोनों मिल जाये।।
कसम से हम तुमको,
बहुत चाहते हैं।
तुम्हारी हर अदाको,
पसंद भी करते हैं।
पर फिर भी क्यों हमारा दिल,
यहां वहां भटकता हैं।
जबकि सामने तुम मेरे खड़े होते हो।।
लोग कहते हैं दोनों की,
बहुत बढ़िया जोड़ी हैं।
राधा कृष्ण जैसे,
तुम दोनों दिखते हो।
अब कैसे हम कहने
वालों को समझाए।
की दोनों के दिलों में,
कुछ और चल रहा।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
22/08/2019

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