कर्मो का फल.....
इसी जीवन में न सही ,
पर भाव में मिलता हैं।
अपने अपने कर्मो का,
फल सब को मिलता हैं।
इसी जीवन में न सही,
पर भाव में मिलता हैं।।
एक से दो भाई हैं ,
दुनियां के इस मेले में।
एक दर दर का भिखारी,
दू जा हैं महलों में।
एक से पैदा हुए ,
पर भाग्य बदलता हैं।
अपने अपने कर्मो का,
फल सब को मिलता हैं।।
इसी जीवन में न सही,
पर भाव में मिलता हैं।
अपने अपने कर्मो का,
फल सब को मिलता हैं।।
एक पत्थर वो हैं,
जिसकी पूजा करते हैं।
एक पत्थर वो भी,
जिस पर हम चलते हैं।
पर्वतो चट्टान से,
एक साथ निकलता हैं।
अपने अपने कर्मो का,
फल सब को मिलता हैं।।
इसी जीवन में न सही,
पर भाव में मिलता हैं।
अपने अपने कर्मो का,
फल सब को मिलता हैं।।
एक से दो फूल खिले,
माली के बगीचे में।
एक चढ़ता देवता को,
दू जा अर्थी पे।
एक सी खुशबू लिए ,
एक साथ खिलते हैं।
अपने अपने कर्मो का,
फल सब को मिलता हैं।।
इसी जीवन में न सही,
पर भाव में मिलता हैं।
अपने अपने कर्मो का,
फल सब को मिलता हैं।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई )
23/08/2019

No comments:
Post a Comment