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मेरी ख्वाहिश Meri khwahish


मेरी ख्वाहिश......


मैं तेरे आगोश में अपनी हर शाम गुजारूं,
तेरी याद के सदके में अपनी नींद भी वारुं।
सांसो की बंसी की धुन में बस तुझको ही पुकारुं,
अपने मन की दर्पण में तेरा ही मुखड़ा निहारूं।

अपने गीतों अपनी गजलों में तेरी छवि मैं उतारूं,
अपने प्रेम के सांचे में तेरी तस्वीर को ढालूं।
नाजुक प्रीत के धागों से अा तुझको मैं बांधू,
तेरी खुशियों की खातिर में अपना तन मन भी हारूं।

सारे जग को भूल भाल कर बस तेरी हो जाऊं,
राधे मोहन के अमर प्रेम सा मैं तुझको पा जाऊं।
किस्मत से भी छीन लूं तुझको इतना निश्चय कर पाऊं,
इक तेरे दीदार की खातिर मैं हद से भी गुजर जाऊं।


प्रेषक: कल्पना सिंह
 रीवा( मध्य प्रदेश)

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