अवसाद मजाक नहीं है
लंबी उदासियों से युक्त
मन में चलते द्वन्द से ग्रसित
एकटक तकती निगाहें
विचलित सी दिखती हैं |
क्षण-प्रतिक्षण आती जाती
श्वांसों के संग अवसाद ग्रसित
होने लगती है।
मन में सैलाब, फिर भी खामोशी
ये बात आम नहीं है
विषय गंभीर है.........
*अवसाद मजाक नहीं है।*
जीवनधारा बहती है
फिर भी प्रश्नचिन्ह लगा है
नकारात्मक सोच का
गहरा जाल पड़ा है |
जीवित हूँ मगर...
अब जीवन नहीं बचा है |
जीता नहीं न हारा हूँ,
बस कोई न आसरा है |
ये जो है उसका जवाब नहीं है
विषय जटिल है........
*अवसाद मजाक नहीं है* |
खुद से भीतर लड़ता है
जंजालों से घिरता है |
एक निश्चित सीमा तक जाकर,
मौत का स्पर्श करता है।
व्यक्त नहीं वेदना कर पाया
घुट-घुट कर मरता है |
कभी जहर का प्याला
पीने का मन करता है।
ये परिस्थिति आम नहीं है
विषय संवेदनशील है.......
*अवसाद मजाक नहीं है।*
मौत नहीं आई...हर दिन
थोड़ा-थोड़ा मरते हैं |
अंधेरा ही नजर आता
लगता कोई भोर नहीं है |
चार कंधो पर तो एकदिन
मरकर जाना ही है |
कोई एक कंधा संभालने को
मिलता ही नहीं है |
अपनों में अपनापन..
रिश्तों में मिठास नहीं है |
यह समस्या आम नहीं है
विषय बहुत गहन है.....
*अवसाद मजाक नहीं है* |
*शिवानी त्रिपाठी*
*मीरापुर,प्रयागराज।*
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