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कितना बदल गया संसार kitna badal gya snsar

कितना बदल गया संसार

कितना बदल गया संसार
दिख रहे सड़कों पर कहीं
हिरण तेंदुए कहीं ब्यार
कितना बदल गया संसार।

देख इंसान का रूप
पशु-पक्षी भी छिप जाते थे
तेरे चरित्र का सही वर्णन
हर समय तुझे बताते थे
समझ अपना व्यवहार
कितना बदल गया संसार।

तलवार बंदूक गोली
बड़े-बड़े बम, टैंक जैसे
औजारों से इसकी पहचान
ना कर पा रहा अत्याचार
कितना बदल गया संसार।

कमज़ोरों को डराए  जो
बहू बेटियों को रुलाए जो
झूठी अफवाहें फैलाए जो
बना महामारी का आहार
कितना बदल गया संसार।

यह बंगले यह गाड़ियां
उनमें रहने वाले शहजादे
पड़े हैं घरों में, हुए बंद दरवाज़े
दिन में लगे आधी रात का पहर
कितना बदल गया संसार।

आधुनिकता  का  है  यह 
जमाना , बिना  शब्दों    के
 चयन,  गाए  हर   कोई   गाना
मैं ही सबसे उत्तम, करे सब गुहार
कितना बदल गया संसार।

समझता खुद को बुद्धिमान
फैला के धरा पर झूठ फरेब
करना चाहे पूरे अपने अरमान
दिख रहा कितना लाचार
कितना बदल गया संसार।

कल्पना करें यही प्रार्थना
मिले भरपेट रोटी सबको
ना बिछड़े महामारी से कोई अपना
सज जाएं उम्मीदों के बाजार 
भर जाए खुशियों  से संसार
कितना बदल गया संसार।

कल्पना गुप्ता  /रतन


परिचय

नाम कल्पना गुप्ता सीनियर लेक्चरर
कलमी नाम_कल्पना गुप्ता/ रतन
जन्म स्थान--भद्रवाह (जम्मू एंड कश्मीर)

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