कोरोनासुर
मनुज विकल पीड़ा में सुनो अवध बिहारी।
मानवता की करुण पुकार समझो गोविंद मुरारी।।
आफत में तुम्ही हो एक मांझी मेरे,
कर दो नैया पार बढावो हाथ गिरिधारी।
तुम बिन जाएं कहां कोई ठोर ना ठिकाना,
तेरे ही दर है पड़े भक्त शरण श्याम तिहारी।
है जग पर आई मुसीबत देख गोपाला,
बजा अपनी बांसुरी हर ले पीड़ा सारी।
तुम्ही ने उबारा जग को अधर्म के पथ से,
अब फिर आओ मोहन धर्म खतरे में हैं भारी।
भूला मानव सदमार्ग कूरीति के राह चला,
दिखाओ मार्ग करो रोशनी सांवला तेरी अब बारी।
प्रह्लाद की पुकार पे खंभ फाड़ के प्रकट भयो,
नख से संहार कियो हिरणाकच्छप को सिंह रुपधारी।
करमा को खायो खीचड़ो देर ना की मधुसूदन,
भात भरयो नैनी बाई को जब नरसी भगत पुकारी।
दादू के तुम्ही राम तुम्हीं हो मीरा के मोहन,
सैन भगत की लाज राखी आय पूगो पल में किरतारी।
पांडवों के बन सारथी धर्म पताका फहराई चहुँ ओर,
बन दशरथ नंदन तुम्हीं ने लंका आय उबारी।
जब जब दानव आतंक कियो तब तब आयो,
संहारे असूर दल तुम्हीं जग में कियो सुख भारी।
असुर विचरता निष्ठुर होकर कोरोनासुर जग में,
खूब करी तबाही भयातुर भये सब नर नारी।
दुख हरो सुख करो तुम्हीं हो रखवारे,
ब्रह्मानंद की विनती सुण ले सुदर्शन चक्रधारी।
ब्रह्मानंद गर्ग
जैसलमेर(345027)
No comments:
Post a Comment