कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

माँ maa

            माँ


मां होती है एक अनसुलझी पहेली
कब, क्या, कहा, कर दे कुर्बान
कैसे, किस तरह, वह जिंदगी से खेली।

मां इस धरती पर दूसरा रब का नाम
अपने बच्चों की खातिर कर जाती बड़े-बड़े काम‌।

मां की होती नहीं कोई भी सहेली
उठाती है सबका बोझ, जख्म उठाती है अकेली।

मां जिंदगी में मिलती है एक बार
इसके जैसा पाक, ना कोई दूसरा किरदार।

मां को जब भी सुनाई  देती  पुकार
छोड़ सब आ जाती, करने बच्चों का उपकार।

मां का नहीं होता कोई भी घर
जीती है केवल बच्चों के लिए होकर निडर।

पड़ती है आज मेरी जिधर भी नज़र
घर के हर कोने में आती मां तू ही नज़र।

मां हूं मैं कर्जदार ,ना चुका पाया दूध का कर्ज़
मुझे  करना माफ, ना निभा पाया अपना फर्ज।

तू छोड़ मुझे चली गई करने लंबा सफर
मां याद आती तू बहुत, जब भी दिखती मुश्किल डगर।

कल्पना गुप्ता/ रतन
परिचय
नाम_कल्पना गुप्ता सीनियर लेक्चरर
कलमी नाम_कल्पना गुप्ता/ रतन
जन्मतिथि--04-05-1965
जन्म स्थान--भद्रवाह (जम्मू एंड कश्मीर)
पता_1/134 विकास नगर सरवाल शिव मंदिर के सामने जम्मू
जम्मू कश्मीर

No comments:

Post a Comment