रूह
रूह की जिस्म से निकल कर आई आवाज
हे मानव नहीं है तेरे पास कोई काम काज
क्यों तड़पाए बेज़ुबान को
क्या छुपा है इसमें राज़
माना के शिक्षित हो गया तूं
आधुनिक विधाएं सीख गया तूं
मार दिया विस्फोटक से एक
गर्भवती मां बेज़ुबान को
तेरी आंखों पर क्या
अंधकार की पट्टी थी चढ़ी
गर्भ पे जो उसके नज़र ना पड़ी
लानत है तेरे जैसे इंसान को
मैं तुझे क्या नाम दूं
वहशी दरिंदा या पागल इंसान कहूं
पत्थरों से मार देना चाहिए
तेरे जैसे शैतान को
ये ना कोई है सियासत की बात
समझता अगर दर्द मां का
तो ना मसलता कलियां
ना पहुंचाता आघात
मिटा देना चाहिए ऐसे
इंसान की पहचान को।
कल्पना गुप्ता /रतन
परिचय
नाम_कल्पना गुप्ता सीनियर लेक्चरर
कलमी नाम_कल्पना गुप्ता/ रतन
जन्म स्थान--भद्रवाह (जम्मू एंड कश्मीर)
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