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वो पिता होता है... Wo pita hota h.. गौरव अग्रवाल

वो पिता होता है

वो पिता होता है....
आपके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है
जिसके साथ बिताया गया एक एक लम्हा जीवन का महत्वपूर्ण
किस्सा होता है
       हाँ वो पिता होता है
बच्चे की हर आरजू को पूरा करने के लिए जो पल पल मिटा होता है
      हाँ वो पिता होता है
जब जब लगी बच्चों को धुप,
बनकर उस धुप में उनके लिए छाते के सामान खड़ा होता है
     हाँ वो पिता होता है
जब लगती है बच्चे को चोट..
तो लोगो की नज़र में सबसे ज्यादा परेशानी उसकी माँ को होती है
मगर उस चोट को महसूस करके जो अकेले में रोता है
        वो पिता होता है
हर दर्द अपने छुपा लेता है वो
कितने भी दर्द हो सबमे मुस्कुरा लेता है वो..
सारा जीवन अपने परिवार का बोझ जो अपने कंधे पर ढोता है
     हाँ वो पिता होता है
खुद पहन लेगा वो फटे कपड़े,और सिला सिला कर पहनेगा वो टूटी हुई चप्पल..
मगर यही हो जाय उसकी ओलाद के साथ,तो जायेगा बाजार तुरंत और उसे देगा बदल
       हाँ वो पिता होता है
कितना मुश्किल होता है जिनकी माँ नही होती,उन्हें संभालना...
उन बच्चों के लिए कभी उसकी माँ तो कभी उनके लिए वो बाप होता है
     हाँ वो पिता होता है
यदि माँ होती है जन्नत,तो पिता उस जन्नत तक जाने का दरवाजा होता है...
माँ तो रखती है ओलाद को सिर्फ 9 महीने अपनी कौख में
मगर जो अपनी ओलाद को अपने दिमाग में सारा जीवन ढोता है
     हाँ वो पिता होता है
करता है पूरे दिन मेहनत फिर भी न कभी वह थकता है
करके अपने आप को चूर चूर वह अपने परिवार का पेट भरता है
होती भी होगी कितनी तक़लीफ़ उसे फिर भी किसी को न वह बतलाता है
और मिल सके उसके परिवार को गरम खाना इसीलिए खुद कई बार ठंडा खाकर सो जाता है
     हाँ वो पिता होता है
मेने देखा नही भगवान को कभी
मगर मेरे साथ उसका एक अहसास है
वो रहे या न रहे मेरे साथ
मेरे पिता के रूप में वो हंमेशा मेरे साथ है|||||
नाम-गौरव अग्रवाल
पता-ग्राम पिंडरई
जिला-मंडला 

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