सिर्फ तुम
तुम मेरे लिए
कौन हो
कई बार यह प्रश्न
दिमाग दिल से
पूछता है
जवाब एक ही
रहता है
तुम मेरी
एक तलाश हो
मगर फिर भी
दिल बोलता है
तुम हो
कबीर रहीम का
कोई एक दोहा
जिसका अर्थ
बेहद सरल होता है
मगर उसके अंदर छिपी
ज्ञान की बातें बेहद
गहरी होती है।
आगे फिर से
जवाब मिलता है
तुम हो
रसखान सूर और मीरा का
कोई एक पद
जिसकी करनी
पड़ती है
सप्रसंग व्याख्या और
साथ ही साथ करते हैं
साधारणीकरण।
जिसमें नजर आता है
प्रेम,सौहार्द और मधुरता
तुम मेरे लिए
कौन हो
कई बार यह प्रश्न
दिमाग दिल से
पूछता है।
© गौरव उपाध्याय 'एक तलाश'
मुम्बई, महाराष्ट्र
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