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कोरोना और शादियां कल्पना गुप्ता सीनियर लेक्चरर. Corona or shadiyan

समाज सुधारक

कोरोना और शादियां


कोरोना से कौन परिचित नहीं। आम हो या खास सबको

कोरोना पे विश्वास। हमारे देश में  आदरणीय अमित शाह जी से लेकर बिग बी तक, सबको करोना ने अपनी चपेट में लिया। यह तो थी खास लोगों की बात, आम लोगों की बात ही अलग है। यहां मैं आज आपको यह बताने जा रही हूं कि करोना कैसे समाज की कुरीतियों को कुरेद जड़ से समाप्त करने की कोशिश कर रहा है।

जो बात बरसों से माता पिता ना कर सके,

वह करोना ने करके दिखा दिया। जैसे कि जंक फूड लगभग काफी हद तक पकड़ में है। लेकिन आज मैं यहां एक सामाजिक कुरीति मतलब लाखों का खर्च करके झूठा प्रदर्शन करने की बात कर रही हूं।


हां मुझे यह बदलाव बहुत ही अच्छा लग रहा है। मेरी एक सहेली की बेटी की शादी थी, ज़ोरों से तैयारियां चल रही थीं। लाखों के गहने, कपड़े, ऊपर से बारातियों पर

लाखों का खर्चा। यह सब लेनदेन देख अक्सर मेरा दिल जलता था। कोरोना ने बहुत सारे लोगों का यह काम

आसान कर दिया। शादियां करनी आसान हो गई है। बहुत सारे लोगों के लिए कोरोना का समय वरदान सिद्ध हो रहा है। ऐसा ही होना चाहिए।आठ दस बाराती

और आठ दस लोग लड़की वालों की तरफ से सिम्मलित हो रहे हैं। शादी के हाल , वहां लगे हुए सौ,दो सौ सटाल, लाखों का खर्चा, इसके अलावा बिजली, गाड़ी का तेल, उपहार आदि का अलग से खर्चा। अमीरों की इस झूठे ढकोसलों से बेचारे गरीब लोग तो पिस जाते थे। समय-समय पर नए कानून भी बनाए जाते, इस कुरीति के बारे में साहित्यकारों ने भी बहुत कुछ लिखा, समाज ने भी बहुत कोशिश की लेकिन सब बेकार रहा। इस दिखावे की कुरीति में पिसता कौन था केवल गरीब और गरीब लोग।

शुक्रिया इस दौर का, शायद ऐसा बदलाव लंबे समय तक रहे, और रहना भी चाहिए। मैं तो कहती हूं यह जो फिजूलखर्ची बिना मतलब होती रहती थी बिल्कुल समाप्त होनी चाहिए। अच्छा होगा, इस फजूल खर्ची पर बचे हुए पैसे बच्चों की शिक्षा, प्रगति, उन्नति व उनके

भविष्य के लिए रखे जाएं। हम लोग इन पैसों से गरीबों की मदद भी कर सकते हैं। मजबूर गरीब लाचार बच्चियों की शिक्षा, उनके विवाह पर भी खर्च कर सकते हैं।

यह कुरीति बहुत अरसे  से समाज में बुरी तरह से पनप रही थी, केवल पनपी नहीं रही थी, दिखावे की ओट में फंसती जा रही थी।

 शुक्रिया समाज, शुक्रिया शादीशुदा जोड़ें, तथा सबसे ज्यादा शुक्रिया में कोरोना का करूंगी, जिसके कारण एक बहुत बड़ी सामाजिक कुरीति, बिना हींग या फिटकरी लगाए पलक झपकते ही समाप्त हो गई।


अब तो मैं भगवान से यही प्रार्थना करती हूं कि करोना पाल के बाद भी यह रीत जो इस समय आरंभ हुई है आगे भी ऐसे ही बरकरार रहे। इसमें लोगों के सहयोग के साथ साथ सरकार का सहयोग भी अति लाभदायक सिद्ध होगा। पूरे समाज को मिलकर इसे अपनाना चाहिए।

मैं एक बार फिर से सबसे विनम्र अपील करूंगी की यह स्थिति जो आजकल चल रही है विवाह आदि के बारे में

करोना कॉल के बाद भी यथासंभव रखी जाए। मैं हृदय से आपकी, पूरे समाज की, सरकार की आभारी रहूंगी।

मैं भी इस दौर से गुज़र चुकी हूं, एक गरीब आदमी किस तरह से अपनी बेटी की शादी करता है, कैसे कैसे जुगाड़ कर उसकी बेटी की विदाई हो पाती है।


कल्पना गुप्ता/ रत्न



परिचय नाम_कल्पना गुप्ता सीनियर लेक्चरर कलमी नाम_कल्पना गुप्ता/ रतन जन्मतिथि--04-05-1965 जन्म स्थान--भद्रवाह (जम्मू एंड कश्मीर) पता_1/134 विकास नगर सरवाल शिव मंदिर के सामने जम्मू जम्मू कश्मीर पिन 180005 ईमेल _ kalpanagupta3241@gmail.com

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