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घर , बाड़ी , सरकारी , तरकारी ghar baari sarakari tarkari कवयित्री रोशन कुमार झा

घर , बाड़ी , सरकारी , तरकारी 


इस कोरोना काल में हुआ यह रूप ज़ारी ,
करो तो करो नौकरी सरकारी 
या बेचों तरकारी ,
सच में यह बात है कितनी प्यारी ।।

बनाकर रखों घर द्वार बाड़ी ,
तब कभी न रहेगी ये हाथ खाली ।
ये सब न तो रोशन सुनोगे 
घर-परिवार से गाली ,
यही बताने तो आया रहा ये कोरोना महामारी ।।

बचा कर रखों धन , बनों धन की पुजारी ,
धन ही तो काम करवाती है जितनी काम सारी ।
जिसके पास कुछ न उसी के दिन है भारी ,
सरकारी न तो तरकारी या बनाकर रखों घर द्वार बाड़ी ,
यही दुनिया को बतलाने आया रहा 
कोविड - 19 चीनी बीमारी ।।

 रोशन कुमार झा

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