हमारे आर्दश की पुण्यतिथि
समर्पण का उत्कृष्ठ उदाहरण
जिसने देश को सिखाया था
हर पल देश तरक्कीे के लिए ही
उन्होने सेवा मार्ग दिखाया था।।
जिसके कायल थे उनके विरोधी
आचरण और वाणीयों में उनके
भारत के लिए संकल्पित लय थी
जिसे कविताओं में सुनाया था।।
जब बोलते थे अपनी शैली में
गूँज उठता था पूरा भारतवर्ष
तालियों की गडगडाहट से
सत्ता लोभियो को हिलाया था।।
धारा प्रवाह उनकी पद्धति रही
देश भी नाज करता आया था
ऐसे महापुरुष हमारे अटल जी
देश भारत रत्न से नवाजा था।।
गुम हो गयी वह छवि
जब से वे चुपचाप से हुए
विलुप्त है वह संस्कार अब
जिसका विरोधी भी सम्मान करें।
हाल चाल खोज खबर
सभी की लेते रहते थे
ऐसे विराट इरादे वाले
युगों में ही दिखते हैं ।।
आशुतोष
पटना बिहार
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