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सादगी .. Sadgi

।। सादगी।।

तेरी  ये  सादगी  दिल  को  भा  गयी।
बनके  शुरूर   आँखों   मे   छा  गयी।।

मै   थककर   चूर   हुआ  इस जीवन से।
जीने  की  नयी   कला  तूं  सिखा   गयी।।

कितने  दिनों से रेत  उड़ रहा  था दिल मे।
बारिश   बनकर   तन- मन   भिगा   गयी।।

कब की   मर  चुकी  थी  चाहत जीने   की।
कोमल स्पर्श  से   मेरे बालों को सहला गयी।।

राहत  की   सांस   आज   ले   रहा  हूँ   मै।
इन   हसीन    जुल्फों  मे   हमे  उलझा गयी।।

                     । ।कविरंग।।

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