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शहीदों पर आधारित कविता, Shahido par adharit kavita

__शहीदों को समर्पित__

अवगाहन रण जलाशय में करे मृत्यु के भी डरसे निकलके
आशीष देती भारती माँ चल पढ़े जो  घर से निकल के।

नही निज नेन से किसी नाथ को निहारते वो
नही परिजन के विषय में कुछ भी विचारते वो।
 
देश की शरहद को वो सदन अपना मानकर
डंटे रहते है निरन्तर वीर वो सीना तानकर ।

न जात को न पंत को न धर्म को वो देखते
वो वीर सारे देशसेवा और कर्म को ही देखते।

 स्वल्प भी रखते नही वो मोह अपने जीने से
देश रक्षा में रोक देते  गोलियों को अपने सीने से।

राष्ट्र हेतु द्वन्द करते शत्रु से वीर वो डंटके
या तो आ जाते हे घर पर भक्त  तिरंगे में लपेट के।

शत्रु भू पर खड़े हे तिरंगावीर घर से निकल के
आशीष देती भारतीमाँ चलपड़े जो घर से निकल के।।
                    जय हिन्द
           कवि चन्द्र शेखर राठौर
                  नीमच (म.प्र.)
         मोब.9406685568

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