"बरखा"
धीरे-धीरे बरसो
धीरे-धीरे बरसो
बरखा!
धीरे-धीरे बरसो
चाँद गगन के अधरम्-अधरम्
हो मतवाली गाती सरगम
धरती को तर मद्धम-मद्धम
कर शीतल हरषाती हरदम
हरष-हरष कर बरसो
बरस-बरस कर हरषो
धीरे-धीरे...
बूँद-बूँद शीतल शुभ शबनम
दरिया बन लहराती परचम
बरखा जल जीवन है हमदम
झर-झर झरती शुद्धम शरणम्
गरज-गरज कर बरसो
बरस-बरस कर गरजो
धीरे-धीरे...
प्यासे दर्द हैं प्यासे मरहम
बरखा से छट जाते हर ग़म
काली घटा झमाझम झमझम
नाचे रोज बदरवा छमछम
दरश-दरश कर बरसो
बरस-बरस कर दरशो
धीरे - धीरे...
नहीं सुहातीं बरसत कम कम
हरियाली की हरक़त नम नम
चौबारे पनिया छम्मक छम
झूमे धनिया धम्मक धम
बरस-बरस भर बरसो
सरस-सरस कर सरसो
धीरे-धीरे...
-डाॅ.यशोयश
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