कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

वृक्ष की अर्जी... Vriksh ki arji

___ वृक्ष की अर्जी____

में वृक्ष नही,हूँ जीवन तेरा
अपनी गाँथ सुनाता हूँ
भूखे को फल ,प्यासे को जल
 वर्द्ध को सहारा देता हूँ
फिर क्यों में काट दिया  जाता हूँ।

में वृक्ष नही ,हूँ जीवन तेरा
अपनी गाँथ सुनाता हूँ
तेज धुप में छाँव देता हु
शहर से दूर जंगल में रहता हूँ
फिर क्यों में काट दिया जाता हु।।

में वृक्ष नही ,हूँ जीवन तेरा
अपनी गाँथ सुनाता हूँ
कोशिश मिटटी सरंक्षण की करता
बाढ़ से में ही तुम्हे बचाता हूँ
फिर क्यों में काट दिया जाता हु।।

में वृक्ष नही,हूँ जीवन तेरा
अपनी गाँथ सुनाता हूँ
जिस राख में तू मिल जाता हे
वो राख में ही बनाता हूँ
फिर क्यों में काट दिया जाता हु।।

हे इंसान आज एक अर्जी देता हु
अब तो दोस्ती करले मुझसे
में भी सजीव ही कहलाता हूँ
में वृक्ष नही ,हूँ जीवन तेरा
अपनी गाँथ सुनाता हु।।।

          कवि चंद्रशेखर राठौर
             नीमच (म.प्र.)
      मोब.9406685568

No comments:

Post a Comment