।। नदिया की धार।।
ये जीवन नदिया की धार है।मन प्रतिक्षण नौका पे सवार है।।
मन मे मिलन की उठती ललक
जो भी पाता एक झलक।
नीरवता नीर में दूर तलक
प्रीतम ठहरा उस पार है।। ये जीवन - - - - - -
धारा सा आता - जाता जीवन
कभी है सुख कभी है क्रंदन।
कैसे भँवर में फँसा ये मन
जीवन भी इक मझधार है।। ये जीवन - - - - - -
बुनता मन सपने हसीन
होता पलभर में गमगीन।
क्षण में दिल नीरस-रंगीन
तट पर तो छायी बहार है।। ये जीवन - - - - - - -
सुख-दुख केवल मन के खेल हैं
ये पूरी दुनिया उसी के मेल हैं।
आगे आपाधापी ठेलम ठेल है
फैला जहाँ में तेरा ही शुमार है।। ये जीवन - - - - - - -
तूं तो मेरे बड़े ही करीब हो
मेरे जीवन के सबसे हबीब हो।
क्या कहूँ तूं ही मेरे नसीब हो
देख सौंदर्य दिल तार - तार है।। ये जीवन - - - - - -
कहीं है मिलन कहीं है जुदाई
कहीं मौत है कहीं बजे शहनाई।
कहीं सम्मान कहीं जग- हँसाई
बेशक मिलन का इकरार है।। ये जीवन - - - - - - - -
हम - तुम नदी के दो किनारे
चलते साथ ना मिलते करारे।
कार्य पूर्ण होता तेरे सहारे
तेरे राहों मे माथा टेके हजार हैं।। ये जीवन - - - - - -
स्वरचित मौलिक
।। कविरंग।।
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