।। यायावरी बंजारे दिन।।
यायावर को याद कहां हैरहा किसी के साथ कहां है
कभी न थकता बहता पानी
जीवन कहता अलग कहानी
जगह-जगह की संस्कृतियों का
रूप बनावट आकृतियों का
मौसम जलवायु बदलता रहता
हर दिन नया कहानी कहता
गजां है सर पर सरकारी रिन।। यायावरी बंजारे - - - -
भाषाओं का वह मेल जानता
हर देशों का खेल जानता
निकल पड़ा है अनंत पथ पर
शब्द मौन हैं सदा अकथ पर
कभी न मानता है वह हार
चाहे पडे़ प्रकृति की मार
झंझावातों का थपेड़े सहता
पर जुबान से कुछ ना कहता
मास दिवस सब बीते गिन-गिन।। यायावरी बंजारे - - - -
मन में दुख जरा न पलता
सुबह का सूरज साम को ढलता
परिश्रम उसको कभी न खलता
इर्ष्या मे वह कभी न जलता
समय की चिंता उसे नहीं है
प्रात यहां तो साम कहीं है
जो करता वह वही सही है
मार्ग असीम की उसने गही है
काल बीतता उसका छिन-छिन।। यायावरी बंजारे - - - -
परिवार उसका पूरी दुनिया
रीता गीता मिलती पुनिया
वसुधैव कुटुम्बकम का है नारा
सम्पूर्ण विश्व परिवार हमारा
प्राकृतिक सौन्दर्य में डूबा है
प्रकृति नटी ही महबूबा है
जग उसके लिए न अजूबा है
बढ़ा हुआ मन का मनसूबा है
क्यों व्यर्थ मेंचुभता लोंगो को पिन।। यायावरी बंजारे - - -
स्वरचित मौलिक
।। कविरंग।।
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