जीवन चक्र
भावनाओ से ही भाव बनते है।भावो से ही भावनाएं चलती है।
जीवन चक्र यूँही चलता रहेगा।
बस दिल में आस्थाये रखो तुम सब।।
कहते है जीवन बहुत अनमोल है।
हर पल हर घड़ी जीना जरूरी है।
मूल सिध्दांत ये कहता है ।
खुद जीओ औरों को भी तुम जीने दो।।
स्नेह प्यार से मिलाकर रहो तुम सब।
ऐसी वैसी बाते तुम बोलो नहीं।
जिससे पीड़ा दोनों को हो बहुत।
मधुर वाणी से मुंह तुम खोलो सदा।।
हमने जितना समझ बस उतना लिखा।
बाकी सब पाठको पर छोड़ दिया।
अब इसे आप सराहे या ठुक रहा दे।
ये गीत का भविष्य आपके हाथ मे है।
आप हमें अपनी प्रतिक्रिये जरूर ही दे।
ताकि आगे भी मैं और लिखा सकू।।
ये ही सुख शांति का महामंत्र है।
जो भी जीवन मे इसे अपनाता है।
उसका पूरा जीवन महक जाता है।
हर कदम पर सफलता मिलती है इन्हें।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
01/07/2019

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