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संजय कुमार जैन की कविता अमीरजादे Sanjay kumar jain ki kavita Amirjaade

*अमीरजादे*

किया नहीं जीवन भर कोई काम।
सोता रहा सुबह हो या शाम।
न कि कभी भी किसी की चिंता।
इसलिए कहलाये आलसी राम।।

किये थे पूर्व जन्म में,
अच्छे कर्म।
तो मिल गया बड़े घर में   जन्म।
इसलिए नही करते कोई कामधाम।
फिर भी किये जा रहे है,
बापदादा की कामाई पर यश।।

 कुछ भी नही है पता,
 कैसे कमाया पूर्वजो ने पैसा।
तभी तो बिना सोचे,
 समझे लुटाये जा रहे है।
और अपनी न समझी को दिखा रहे है।
और अपने को शहजादा
 कहलवा रहे हो।।

घर मे कहाँ से आ रहा पैसा,
जिस पर यश कर रहे हो।
अपनी नाकामियों को दिखा रहे हो।
और अपने बाप दादाओ की,
संपत्ति लूटा रहे हो।
और झूठी शान सौकत में जीये जा रहे हो।।

समय के साथ इतिहास भी,
जीवन की तरह बदलता है।
राजा को रंग और फ़क़ीर को,
करोड़पति बना देता है।
ये सब अपने अपने नसीब और,
अच्छे कर्मों से होता है।
तभी तो लोग ईश्वर में आस्था,
इस कलयुग में भी रखते है।।

जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
27/06/2019

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