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लौट आओ तुम laut aao tum नेहा जैन

लौट आओ  तुम 

मिली  जो  दूरियाँ  तुमसे  इश्क़ मे
तब समझे अपनी  चाहत की दीवानगी
खोए रहे तेरे  ख्यालो मे,   पी गमे जुदाई
चुभती रहीं तन्हाई
हाले ए दिल कह  ना  सके
जीकर  भी  जी  ना सके
लौट आओ  तुम
हम तुम्हारे  सिबा किसी  और  के  हो  ना  सके
समझ ना पाए जो  मोहब्बत  तेरी
सजा  हमने  पाई  है
मांगते है तुम्हे  दुआओं मे
ना  कोई  हसरत  है  तुम्हारे सिवा
तेरे  इश्क़  मे  मिटना  ही  अब  मेरा  नसीब है
माफ़  क़र  दो  जो  हुआ  कुसूर है
 यही  किस्सा अब मशहूर है
तेरे  लौटने  की उम्मीद लिए  बैठे  है
तू  आएगा  मौत  से  शर्त  लगाए बैठे  है

नेहा जैन
ललितपुर 

2 comments:

  1. वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह बहुत सुंदर कविता
    लाज़वाब आदरणीया नेहा जी 💐💐💐

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  2. वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह क्या खूब बहुत सुंदर इश्क की परिभाषा

    अंजनी कुमार द्विवेदी
    मुम्बई -400022

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