कविता
लिए कलम गीत गाते देखे मोर ,
राह रोशन करके चलना है विकाश की ओर
है जीवन, तब तक है दौड़ ,
अंत कहां, अभी तो हुआ ही है भोर ...
अंत कहां अभी तो हुआ ही है भोर ।।
पूजा पाठ से नहीं, कर्म से उच्चा करेंगे
मात-पिता के नाम ,
लाये है, लायेंगे इनाम ।
बढ़ते रहे ये ज़िन्दगी सुबह और शाम ,
आप सभी की आशीष चाहिए,
आप सभी को मेरे ज़िन्दगी की तरफ से सादर प्रणाम ।।
® ✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
ग्राम :- झोंझी, मधुबनी, बिहार
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