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कैसे जले दीप/Kaise jale deep/deepawali pr kavita

 कैसे जले दीप 

ईश्क में दिलजले
दीपावली में दीप
संग समाज तब जले
उन्नति की, जब हो भीत।।

इस दीपावली कैसे जले
हर घर में दीप
दो सौ के पार है
कड़ूआ कडवा नीर।।

फल सब्जी कोसो भागे
पाकेट जाये झूल
कैसे कैसे सपने दिखाके
घर घर पहुंचाये शूल।।


     आशुतोष
पटना (बिहार)

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