हाइकु
आँखों में नमी
जिगर में गुब्बार
यही है प्यार .
प्रेम पताका
प्रेम विरोधी पर
रहा है भारी .
जीने की राह
कठिन व आसान
कर निवाह
मुकर गया
सफर से कारवां
मेरी दास्ताँ .
उभर आये
आँखों के काळे घेरे
याद में तेरे .
आँगन खेली
बिटिया हरदम
आँखों ओझल .
राजीव कुमार
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