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हाइकु haiku (राजीव कुमार)

हाइकु

आँखों में नमी 
जिगर में गुब्बार 
यही है प्यार .



 प्रेम पताका 
प्रेम विरोधी पर 
रहा है भारी .

जीने की राह
कठिन व आसान 
कर निवाह 

मुकर गया 
सफर से कारवां 
मेरी दास्ताँ .

उभर आये 
आँखों के काळे घेरे 
याद में तेरे .

आँगन खेली 
बिटिया हरदम 
आँखों ओझल .



राजीव कुमार 

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