मुहब्बत का खुला पैगाम गाँधी
नया एंगिल नया आयाम गाँधी।
हमारे मुल्क को इन्आम गाँधी।
बुराई से रहे लड़ते हमेशा,
मुहब्बत का खुला पैगाम गाँधी।
भुलासकता नहीं सदियों ज़माना,
जहां में कर गये वो काम गाँधी।
अहिंसालफ़्ज़ जबआया कहींतो,
ज़बां पर आ गया है नाम गाँधी।
किसी से तुम करो बर्ताव कैसा,
सिखाते थे हमें हर गाम गाँधी।
कहीं कुछ ठानकर आगे बढ़ेजब,
नहीं हरगिज़ रहे नाकाम गाँधी।
हमीद कानपुरी,
अब्दुल हमीद इदरीसी,
179, मीरपुर , कैण्ट, कानपुर- 208004
9795772415

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